Golden Touch || सुनहरा स्पर्श

Golden Touch || सुनहरा स्पर्श




Once upon a time, a long time ago in ancient Greece, there lived a king named Midas. King Midas loved three things more than anything else in the world - his little daughter, his rose garden, and gold. Nothing gave him more pleasure than seeing his little daughter picking roses in the garden, roses she placed in a golden vase to decorate the castle.
एक समय की बात है, प्राचीन ग्रीस में बहुत समय पहले एक राजा रहता था, जिसका नाम मिदास था।
राजा मिदास को  तीन चीजों से बहोत प्यार था दुनिया की किसी भी चीजों की तुलना मे - उसकी छोटी बेटी, उसका गुलाब का बगीचा और सोना। राजा को किसी चीज से ज्यादा ख़ुशी नहीं मिलती थी सिवाय की उसके छोटी लड़की को बगीचे में गुलाब उठाते हुए देखणा, गुलाब वह सुनहरे फूलदानी में रखती थी अपने महल को सजाने के लिए। 


One night, while strolling through his rose garden, the king stumbled over a satyr. A satyr was half man, half goat. This satyr looked half starved and very ill. King Midas brought the satyr into his castle. He made sure the satyr was washed and fed and tucked into bed for a good night's sleep. When the satyr woke up the next morning, his fever was gone. The king and the satyr had quite a nice chat over breakfast. King Midas was surprised to hear that the satyr belonged to the powerful god Dionysus, the god of wine and truth. That very day, the king personally took the satyr home in his very best chariot. The satyr might only be a servant, but he was the servant of a god, and deserved the very best treatment, which is something the king would have done anyway, because the king had a very kind heart.
एक रात, अपने गुलाब के बगीचे में टहलते हुए, राजा एक सतीर पर लड़खड़ा गया। सतिर  आधा आदमी, आधा बकरा। यह सतिर आधा भूखा और बहुत बीमार लग रहा था। राजा मिदास ने सतिर को अपने महल में लाया। उन्होंने सुनिश्चित किया कि सतिर को धोया गया और खिलाया गया और एक अच्छी रात की नींद के लिए बिस्तर पर रखा गया। जब सतिर अगली सुबह उठा, तो उसका बुखार उतर गया था।राजा और सतिर नाश्ते पर काफी अच्छी बातचीत हुई । राजा मिदास यह सुनकर हैरान थे कि सतिर शक्तिशाली देव डायोनिसस के संबंधित थे , जो शराब और सत्य के देवता थे। उसी दिन, राजा ने व्यक्तिगत रूप से अपने सबसे अच्छे रथ में सतिर को घर ले गए। सतिर जो की केवल एक सेवक हो सकता है, लेकिन वह एक ईश्वर का सेवक था, और बहुत ही उत्तम उपचार का हकदार था, जो कि राजा ने वैसे भी किया होता , क्योंकि राजा का हृदय बहुत दयालु था।

As it turned out, the satyr was more than a servant. To Dionysus, the satyr was his teacher and good friend. Dionysus told the king he would grant any one wish the king made to thank him for taking such good care of his friend. The king did not wish anything for his daughter because he had given her everything she wanted and a whole bunch more besides. He did not wish anything for his rose garden because everyone knew he grew the finest roses in all the world. left gold. King Midas wished that everything he touched would turn to gold.
जैसा कि यह निकला, सतीर  नौकर से भी बढ़कर था। डायोनिसस के लिए, सतीर  उनके शिक्षक और अच्छे दोस्त थे। डायोनिसस ने राजा को कहा कि वह कोई भी इच्छा व्यक्त करे अपने मित्र की इतनी अच्छी देखभाल करने के लिए राजा को धन्यवाद देने के लिए। राजा ने अपनी बेटी के लिए कुछ भी नहीं चाहा क्योंकि उसने उसे वह सब कुछ दिया जो वह चाहता था और इसके अलावा भी बहोत कुछ दिया था । उन्होंने अपने गुलाब के बगीचे के लिए भी कुछ नहीं चाहा क्योंकि सभी जानते थे कि उन्होंने पूरी दुनिया में बेहतरीन गुलाब उगाये हैं। सोना बाकि था । राजा मिदास की इच्छा थी कि वह जो कुछ भी छुए वह सोने में बदल जाए।

The king did not have much hope that his wish had been be granted, because if it had been granted, his chariot would have turned to gold when he climbed aboard to go home, and it had not. Still, he was happy he had helped the satyr, and not just because the satyr was the servant of a god. Satyrs were not always treated kindly in the ancient Greek world because they looked rather different, being half man and half goat. When the king arrived back at his castle, he pulled out a chair to sit down at his table. The minute he touched it, the chair turned to gold. He touched the table. He touched a vase. As soon as he touched them, they turned to gold. King Midas raced through his castle. Everything he touched turned to gold! He was so happy. He shouted to his servants to cook him a feast in celebration!
राजा को बहुत उम्मीद नहीं थी कि उनकी इच्छा को मंजूर कर लिया गया होगा , क्योंकि अगर यह प्रदान किया गया होता, तो उनके रथ सोने में बदल जाने चाहिए थे , जब वह घर जाने के लिए उस पर चढ़ते, और यह नहीं  हुआ था। फिर भी, वह खुश था कि उसने सतीर  की मदद की थी, न कि सिर्फ इसलिए कि सतीर  भगवान का सेवक था। प्राचीन यूनानी दुनिया में सतीर के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता था क्योंकि वे अलग दिखते थे, आधा आदमी और आधा बकरा। जब राजा अपने महल में वापस आया, तो उसने अपनी मेज पर बैठने के लिए एक कुर्सी निकाली। जिस मिनट उसने इसे छुआ, कुर्सी सोने की हो गई। उसने एक फूलदान को छुआ। जैसे ही उसने उन्हें छुआ, वे सोने में बदल गए।राजा मिदास ने अपने महल में दौड़ लगाई।उसने जो कुछ भी छुआ वह सोने का हो गया! वह बहुत खुश था। अपने सेवकोंको चिल्लाते हुए उसने कहा की उसे उत्सव के रूप में दावत दी जाये !

His servants were very fond of King Midas. They knew he was foolish, but he was rather a dear. So they cooked and cooked and served him a feast. That's when the trouble started. Everything looked and smelled so good that King Midas did not wait for his daughter to show up for lunch. He reached out and grabbed a fistful of food. It had turned to gold in his fist. He touched other food. Whatever he touched turned to gold. He tried leaning over and ripping a piece of meat with his teeth, but that did not help. The meat turned to gold in his mouth. The king's eyes filled with fear. He knew if he could not eat, he would starve. This was terrible. The king did not know what to do.
उनके नौकर राजा मिदास को बहूत  पसंद करते थे।वे जानते थे कि वह मूर्ख है, लेकिन वह अच्छा था।इसलिए उन्होंने खाना बनाया और पकाया और उसे दावत दी। तभी मुसीबत शुरू हो गई। सबकुछ इतना बढ़िया दिख रहा था और खाने की खुशबु भी इतनी बढ़िया थी की राजा ने अपने बेटी का इंतजार भी नहीं किया। उसने अपने खाने को अपने मुठी में लिया। खाना उसकी मुठी में सोने का बन चूका था।  उसने दूसरे खाने को स्पर्श किया। जिसकिसी भी खाने को वह स्पर्श करता सब सोने में बदल जाता। उसने झुककर मांस का टुकड़ा तोड़ने की कोशिश की, लेकिन कुछ फायदा नहीं हुवा। मांस  का टुकड़ा उसके मुँह में सोने का बन चूका था । राजा की आँखें भय से भर गईं।वह जानता था कि अगर वह नहीं खा सकता है, तो वह भूखा रहेगा। यह भयानक था। राजा को पता नहीं था कि क्या करना चाहिए।


King Midas wandered sadly out to his rose garden. His little daughter was in the garden, picking roses. When she saw her father, she ran into his arms for a hug and turned to gold. King Midas hung his head and cried. As his tears fell on his precious roses they turned to gold, but the king did not care. He did not care about his roses or his gold or himself. Dionysus, hear my prayer, the king begged. Take my wish back! Please, take my wish back and save my daughter!
राजा मिदास उदास रूप से अपने गुलाब के बगीचे के लिए बाहर भटक गया। उसकी छोटी बेटी बगीचे में थी, गुलाब चुन रही थी। जब उसने अपने पिता को देखा, तो वह गले के लिए अपनी बाहों में चली गई और सोने की ओर मुड़ गई। राजा मिदास ने अपना सिर लटका दिया और रो पड़ा। जैसे ही उनके आँसू उनके कीमती गुलाबों पर गिरे, वे सोने में बदल गए, लेकिन राजा को कोई परवाह नहीं थी। उसे अपने गुलाब या अपने सोने या खुद की परवाह नहीं थी। डायोनिसस, मेरी प्रार्थना सुन, राजा ने भीख मांगी। मेरी इच्छा वापस ले लो! कृपया, मेरी इच्छा वापस लें और मेरी बेटी को बचाएं!

One last time, the king's wish was granted.
एक आखरी बार, राजा की इच्छा पूरी कर दी गई।



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